श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल

8246+H3H, Ghats of Varanasi, Bangali Tola, Varanasi, Uttar Pradesh 221001, India
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श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल is a hindu temple located in Varanasi, Uttar Pradesh. The average rating of this place is 4.30 out of 5 stars based on 6 reviews. The street address of this place is 8246+H3H, Ghats of Varanasi, Bangali Tola, Varanasi, Uttar Pradesh 221001, India. It is about 1.96 kilometers away from the Kashi railway station.

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Where is श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल located?
श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल is located at 8246+H3H, Ghats of Varanasi, Bangali Tola, Varanasi, Uttar Pradesh 221001, India.
What is the nearest railway station from श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल?
Kashi railway station is the nearest railway station to श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल. It is nearly 1.96 kilometers away from it.
What people say about श्री हरतालिका व्रत कथा देवस्थल

Tag Classes 82 months ago

nice ..

Yadaiah Krishnamani 22 months ago

Hi friends

Dheeraj Mishra 70 months ago

लिंग पुराण की एक कथा के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया। इस दौरान उन्होंने अन्न का सेवन नहीं किया। काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर ही व्यतीत किया। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता अत्यंत दुखी थे।

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने सहर्ष ही स्वीकार कर लिया। पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बतलाई तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से विलाप करने लगी। फिर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कि वह यह कठोर व्रत भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं। तब सहेली की सलाह पर माता पार्वती घने वन में चली गई और वहां एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई।

भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया। तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, वह अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करती हैं। साथ ही यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशी बरकरार रखने के उद्देश्य से भी मनाया जाता है। उत्तर भारत के कई राज्यों में इस दिन मेहंदी लगाने और झुला-झूलने की प्रथा ह