Memorial Hall Etawah is a historical landmark located in Etawah, Uttar Pradesh. The average rating of this place is 1.00 out of 5 stars based on 1 reviews. The street address of this place is D-16, D-16, Pakka Talab Colony, Purbia Tola, Etawah, Uttar Pradesh 206001, India. It is about 2.29 kilometers away from the Etawah railway station.
Monu 45 months ago
इटावा. ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के नौका विहार का गवाह रहा इटावा का ऐतिहासिक पक्का तालाब देख रेख के अभाव में बदरंग हो चला है। लाखों रुपये खर्च होने के बाबजूद ऐतिहासिक पक्का तालाब बदहाली का शिकार है। कभी लोगों के लिए आर्कषण का केंद्र रहने वाले तालाब के फव्वारे बंद हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर तालाब के चारों ओर लगाई लाइट भी बंद हो गयी है। पानी में गंदगी है, जबकि जलीय जीव भी तालाब छोड़ कर के जा चुके हैं। इस दुर्दशा के चलते सुबह व शाम के समय तालाब के आसपास घूमने वाले लोगों की संख्या भी कम हो रही है।
करीब 200 साल पुराना है पक्का तालाब
200 साल पुराना शहर का पक्का तालाब इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बाद साल 2014 में पूर्व पालिका अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता ने पक्का तालाब के सौंदर्यीकरण का जिम्मा उठाया। साथ ही पानी व पत्थर के बीच खाली जगह पर पेड़ पौधे भी लगाए गए। साथ ही 40 लाख रुपए की लागत से फव्वारे भी लगाये गये। कुछ दिनों बाद ही तालाब के फव्वारे बंद हो गए और धीरे धीरे यह दुर्दशा की ओर बढ़ने लगा। यहां आने वाले अराजक तत्व कूड़े को तालाब में फेंकने लगे जिससे यहां पानी भी खराब हो गया और यहां रहने वाले बतक व अन्य जलीय जीव गायब हो गए। स्थिति यह है कि अब पानी में दुर्गंध आ रही है लेकिन इसके बावजूद इसकी साफ-सफाई पर किसी का ध्यान नहीं है। पालिका के संरक्षण में आने के बावजूद तालाब के प्रति उदासीनता से लोग परेशान हैं।
2014 में कराया गया विकास
2014 में पालिका द्वारा पक्के तालाब की सतह को कंक्रीट के जरिए पक्का कर दिया गया। जिसके बाद से तालाब में पानी निकले की सुविधा खत्म हो गई है। हालांकि दावा किया गया था कि वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए पानी निकलने की सुविधा मौजूद है। यही कारण है कुछ दिनों बाद तालाब का पानी कम हो जाता है और इसमें बार-बार पानी ट्यूबबैल के जरिए भरा जा रहा है।
लगा है अशोक स्तंभ
पक्का तालाब के बीच में लगे अशोक स्तंभ पर एक गोल रनिंग गुब्बारा लगाया गया था। इसके अलावा चार अलग-अलग कोनों पर समरपंप भी लगाए गए थे। जो कुछ ही दिनों बाद बंद हो गए। ऐसे में इनसे होने वाले आक्सीडेशन के कारण यहां पर रहने वाली जलीय जीव विलुप्त हो गए।
इटावा की पहचान का है मुख्य केंद्र
पक्का तालाब अपने तरह का एक विशेष तालाब है। यह अंग्रेजों के जमाने से स्थित है। इसके एक किनारे पर ब्रिटिश कालीन मेमोरियल हाल बना हुआ है। वहीं श्री साईंधाम के साथ शिवालय, हनुमान मंदिर सहित अनेक मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। यहां हर सुबह अनेक लोग भ्रमण के लिए आते हैं। वहीं आस्था से जुड़े लोगों का मेला सा लगा रहता है।
महारानी विक्टोरिया के भारत आगमन पर बना है तालाब
ब्रिटिश शासन काल में महारानी विक्टोरिया के भारत आगमन पर विक्टोरिया मैमोरियल की स्थापना की गई थी। इसके पास बने प्राचीन तालाब को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया था। समय के साथ बदहाल हुए पक्के तालाब को 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सौन्दर्यीकरण कराने के लिए चुना था जिसके बाद तालाब का सौन्दर्यीकरण भी कराया गया था लेकिन सरकार जाने के बाद रुके हुए अधूरे निर्माण से व्यवस्थाएं बिगड़ गई। अब बार फिर नगर पालिका परिषद ने इस तालाब को पर्यटन स्थल बनाने के लिए काम शुरू किया है।
रजवाड़ों ने बनवाया
महारानी विक्टोरिया के नाम पर जिले के रजवाड़ा व धनाढ्य घरानों ने शहर के पक्का तालाब के किनारे विक्टोरिया मेमोरियल हॉल का निर्माण कराया। जब ब्रिटिश सरकार ने रजवाड़ों को भारत दौरे पर आ रहीं इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को खुश करने की सलाह दी। पक्का तालाब के किनारे न सिर्फ आजादी की लड़ाई के रूप में बल्कि कुछ अन्य स्मृतियों के साथ इसे संजोया गया है। 15 अगस्त 1957 को अंग्रेजी हुकूमत की यादों को मिटाने के लिए विक्टोरिया मेमोरियल हॉल का नाम बदलकर कमला नेहरू हॉल रखा गया और पक्के तालाब के बीचों-बीच अशोक स्तम्भ स्थापित कर दिया गया। यह निशानी थी कि भारत अब आजाद है।
जिम्मेदार कहते हैं...
इटावा की नगर पालिका अध्यक्ष नौशाबा खान का कहना है कि ऐतिहासिक पक्का तालाब इटावा नगर की धरोहरों में से मुख्य मानी जाती है। इसकी बदहाली को दूर करने की दिशा में सतही तौर पर काम किया जायेगा। अभी तक जो भी कार्य यहां पर कराये गये वो तकनीकी तौर पर पूरी तरह से सही नही थे। नतीजे के तौर पर वो एक भी कारगर नहीं हो सके।
इतिहासकारों की राय
इटावा के के.के. कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि यह पक्का तालाब आजादी के वक्त का ना केवल निर्मित है बल्कि इससे इटावा की पहचान बनी हुई है। जिम्मेदार संस्थाओं को इस ऐतिहासिक तालाब की बदहाली दूर करने की दिशा में सक्रिय रह कर काम करने की जरूर हैं।
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